विशेषज्ञों द्वारा ' प्री - डायबिटीज से डायबिटी ' के बारे में 5 और 6 जनवरी को परिचर्चा
मुंबई, लाइफनेस साइंस इंस्टीट्यूट द्वारा "प्री-डायबिटीज टू डायबिटीज: द ट्रैजेक्टरी ऑफ कंसर्न" के विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 5 और 6 जनवरी 2024 को कोकिलाबेन धीरूभाई अस्पताल, अंधेरी (पश्चिम) मुंबई में आयोजित किया जा रहा है।
'प्री-डायबिटीज' एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें ब्लड ग्लूकोज स्तर में वृद्धि होती है, लेकिन यह टाइप-2 मधुमेह के रूप में परिभाषित करने के लिए पर्याप्त नहीं होता। 'प्री-डायबिटीज' का वैश्विक प्रसार, जो इम्पेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज द्वारा परिभाषित होता है, 2021 में 5.8% (298 मिलियन) था और 2045 में यह 6.5% ( 414 मिलियन) तक होने का अनुमान है। ICMR-INDAB द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन के अनुसार लगभग 15.4% शहरी आबादी और 15.2% ग्रामीण भारत प्री-डायबिटिक चरण में हैं। इसका समग्र प्रसार 15.3% है।
मीडिया को संबोधित करते हुए फ्यूचर वर्सिटी एजुकेशन ग्रुप और लाइफनेस साइंस इंस्टीट्यूट के निदेशक गोपाल शर्मा ने कहा "विश्व स्वास्थ्यम-2024 की पहल के तहत इस महत्त्वपूर्ण विषय पर इस तरह के एक बड़े पैमाने पर सम्मेलन का आयोजन करने का विचार और प्राथमिक उद्देश्य यह है कि प्री-डायबिटीज के हर पहलू पर ध्यान दिया जाए और इसको टाइप 2 मधुमेह की ओर बढ़ने से रोकने के उपाय तैयार किए जाएं।" इस सम्मेलन को अनूठा बनाने वाली विशेषता यह है कि इस सम्मेलन में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डायबिटोलॉजिस्ट, आहार विशेषज्ञ, पोषण विशेषज्ञ, लाइफस्टाइल कोच, व्यायाम और योग विशेषज्ञों सहित 25 से अधिक प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत और पैनल चर्चा की जायेगी"। शर्मा ने आगे बताया, "प्रारंभिक हस्तक्षेपों और जीवनशैली में परिवर्तन को लागू करके, दीर्घकालिक समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है, व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है और बढ़ती मधुमेह महामारी को रोकने के वैश्विक प्रयास में योगदान दिया जा सकता है।"
5 और 6 जनवरी को दो पूर्ण दिवसीय कॉन्फ्रेंस के अलावा, इससे पहले 4 जनवरी 2024 को एक प्री-कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा, जो पेशेवरों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा, जहां प्री-डायबिटीज अनुसंधान में नवीनतम तकनीकों और नवाचारों का अध्ययन किया जाएगा, साथ ही डायबिटीज प्रबंधन में कौशल विकास की तकनीकों पर भी जोर दिया जाएगा।